रतन टाटा की जीवनी | बायोडाटा | जन्मदिन | प्रारंभिक जीवन की कहानी

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ratan tata biography

रतन टाटा, एक नाम जो भारतीय उद्यम और सामाजिक क्षेत्र में काफी लोकप्रिय है, एक ऐसे व्यक्ति जिनका नाम सिर्फ एक व्यक्ति की जीवनी से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि एक संगीत है, जो देश और दुनिया के उद्यमियों के दिलों में बस गया है उनकी कठिनाइयों और संघर्षों और महत्वपूर्ण‌ पलों से कुछ सीखने की कोशिश करेगें और‌ जानेगें की उन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष से अपने लक्ष्य को हासिल किया तो चलिए शुरू से शुरुआत करतें हैं

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रतन टाटा का प्रारंभिक जीवन /ratan tata early life

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को बॉम्बे में हुआ था (जिसे अब मुंबई के नाम से जानते हैं) सर रतन टाटा के पिता का नाम “नवल टाटा”और माता का नाम सूनी टाटा था। सर रतन टाटा के पिता का जन्म सूरत में हुआ था बाद में उन्हें टाटा परिवार ने गोद ले लिया, रतन टाटा जब 10 साल के तब उनके माता- पिता का तलाक हो गया, जिसके बाद रतन टाटा अपनी दादी नवाजबाई टाटा के साथ रहे।

सर रतन टाटा की शिक्षा/Education of ratan tata 

ratan tata

सर रतन टाटा ने अपनी 8th कक्षा तक की पढाई Campion school mumbai से की थी उसके बाद उन्होंने अपनी आगे की पढाई Cotton school (shimla) की थी, सर रतन टाटा ने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से बैचलर की डिग्री 1959 में प्राप्त की 2008 में सर रतन टाटा ने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी को 50 मिलियन डाॅनेट किए जो कि यूनिवर्सिटी के इतिहास में सबसे बड़ा अमाउंट हैं। 

करियर की शुरुआत/Career’s beginning

रतन टाटा ने अपनी करिअर की शुरुआत काशीपुर झारखंड में स्थित “Tata Steel” में  एक Internship के रूप में की थी, और उनके ये प्रारंभिक कार्यो ने उन्हें उनके व्यवसायिक दृष्टिकोण को समझने में मदद की सर रतन टाटा ने इसके अलावा‌ टाटा समूह के अंदर कई महत्वपूर्ण पदों पर काम‌ किया 1991 में सर रतन टाटा tata sons के चेयरमैन बने जो की tata groups की एक holding कंपनी में से एक है उनके नेतृत्त्व में समूह ने काफी विस्तार किया  सर रतन टाटा ने समूह को वैश्विक स्तर पर विस्तार के सुझाव को प्रोत्साहित किया तथा 2008 में Tata group ने Jaguar और land rover का अधिग्रहण कर लिया जिसके कारण tata group की वैश्विक प्रतिष्ठा और बढ़ गई। और इस अधिग्रहण के पीछे भी एक रोचक कहानी हैं जो की सर रतन टाटा के साहसी निर्णय और खुद पर विश्वास को दर्शाती हैं। उसकी चर्चा हम आगे करेगे

Awards/पुरस्कार

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सर रतन टाटा अपनी “Down to earth personality” और अपने उच्च विचारधारा के लिए काफी जाने जाते हैं। उनके द्वारा समाज और व्यवसाय के क्षेत्र में किए गए योगदान के लिए उन्हें काफी सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है तो आइए जानते हैं उन पुरस्कारों के बारे में

List of Awards and Honours of Ratan Tata till 2023 

 

सर रतन टाटा के बारे में कुछ रोचक बातें/facts about sir ratan tata

सर रतन टाटा  इंडिया के उन चुनिदा लोगो में से एक हैं जिन्हे भारत की जनता अपना आर्दश मानती हैं उनकी की पॉपुलेरिटी का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं। इंडिया में सोशल मीडिया पर समय- समय पर उनको भारत रतन देने की मांग उठती हैं और सोशल मीडिया पर “#bharat ratna for ratan tata” ट्रेंड करता रहता है

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Tata nano:- टाटा नैनो को टाटा मोटर्स के फेलियर में से एक माना जाता हैं, सर रतन टाटा ने जब देखा की भारत में एकल परिवार में जिसमे कुल चार सदस्य हैं वो ज्यादातर दुपहिया वाहन का प्रयोग करते हैं, तथा बारिश, सर्दी और कई समस्या का सामना करते हैं इसी समस्या को हल करने के लिए सर रतन टाटा ने कम बजट में एक फैमिली कार बनाने का सपना देखा और उनका वो सपना साकार भी हो गया। पूरी दुनिया ने दांतों तले अंगुली दबा ली की कोई इतनी सस्ती कार कैसे बना सकता हैं लेकिन सर रतन टाटा के बुलंद इरादे और उनकी टीम की मेहनत ने इस असंभव कार्य को भी संभव कर दिखाया ,लेकिन अफ़सोस सर रतन टाटा का ये सपना पुरा न हो पाया और टाटा नैनो मार्केट मे ज्यादा दिन तक नही चल पाई।

 

Story of jaguar and land Rover :- कार व्यवसाय मे सर रतन टाटा और फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड की स्टोरी काफी पॉपुलेर हैं, बात हैं 1998 की जब टाटा मोटर्स ने भारत की पहली स्वदेश कार इंडिगो लौंच की थी, ये कार सर रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट था लेकिन ये कार इंडिया के मार्केट मे ज्यादा दिन तक चल नही पाई, इसलिए टाटा ग्रुप ने अपनी कार व्यवसाय से निकलने का फैसला किया, सर रतन टाटा ये डील लेकर उस टाइम की अमेरिका की सबसे बड़ी कार कंपनी फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड के पास गए। डील के दौरान बिल फोर्ड ने सर रतन टाटा को काफी अपमानित किया और कहा कि मै यह डील करके आप पर एहसान कर रहा हुँ। सर रतन टाटा इस बात से काफी निराश हुए और वो बिना डील किये ही इंडिया वापिस लौट गए और दिन रात- एक कर lएक घाटे वाली कंपनी से , कंपनी को प्रोफेटेबल कंपनी बना दिया। फिर आता हैं सन् 2008 जब दिवालिया की कगार पर खड़ी फोर्ड कंपनी अपनी मौजूदगी के लिए संघर्ष कर रही थी तब सर रतन टाटा ने फोर्ड को उनके दो luxury car brand जगुआर और लैंड रोवर को खरीदने का ऑफर दिया और जून 2008 में टाटा ने 2.8 billion देकर जगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया कहते हैं की उस टाइम बिल फोर्ड को अपनी गलती का एहसास हुआ और कहा की आप हमारे उपर एहसान कर रहे हैं  

“तो ऐसे हैं हमारे सर रतन टाटा उनके नाम में ही रतन नही हैं वो सही में हमारे देश के लिए रतन हैं”

आज के लिए इतना ही आगे फिर मुलाकात होगी देश के एक और महान शक्सियत के बारे में

जय हिन्द