महंगाई देश की अर्थव्यवस्था के लिए दीमक की तरह काम करती है जो की किसी भी देश आर्थिक कमर तोड़ने में ज्यादा समय नहीं लगाती है। इसलिए सभी देशो की सरकार इस महंगाई से निपटने के लिए अलग – अलग योजना बनती रहती है ताकि महंगाई को हद से ज्यादा होने से रोका जा सके। इसके लिए सरकार की योजना बनाने में मदद करता है देश का केन्द्रीय बैंक ( जैसे की भारत का केंद्रीय बैंक RBI है वैसी ही सभी देशो के अपने-अपने केंद्रीय बैंक होते है ) अलग -अलग पॉलिसी के द्वारा महंगाई को निंयत्रित रखता है। जिनमे रेपो रेट प्रमुख है तो आइये जानते है की रेपो रेट क्या ही और ये कैसे काम कराती है।
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रेपो रेट क्या है/What is repo rate
रेपो रेट जब आपको पैसो की जरुरत होती है और मार्किट में आपको पैसा नहीं मिलता तो आप जैसे बैंक से लोन लेते है उसी प्रकार जब बैंको को शार्ट टर्म के लिए पैसे की जरुरत होती है तो वो RBI के पास जाते है , और जिस दर से RBI अन्य बैंको से ब्याज दर लेता है उसे कहते है रेपो रेट यानि की साधारण शब्दों में जब देश का केंद्रीय बैंक देश के अन्य बैंको को लोन देता है और उन से जिस दर से ब्याज लेता है उसे रेपो रेट कहते है।
रेपो रेट से आम जनता पर क्या प्रभाव पड़ता है/ Impact of repo rate on Peoples
जब RBI अपनी रेपो रेट में बढ़ोतरी करता है तो बैंको को मिलने वाला लोन महंगा हो जाता है और जब बैंक अपने ग्राहक को लोन देगा तो वो भी महंगा मिलेगा , उदाहरण के लिए RBI ने रेपो रेट 2 % से बढ़कर 4 % कर दी तो बैंको को लोन पर 4 % दर से ब्याज देना पड़ेगा, और आगे बैंक जब अपने ग्राहको को लोन देगा तो वो 4 % न देकर 6 % से ब्याज वसूल करेगा ( क्योंकि बैंको को भी तो लाभ कमान है अगर वो 4 % से ही ब्याज लेंगे तो उन्हें लाभ कैसे होगा इसलिए बैंक जितने % RBI को ब्याज चुकता है उससे ज्यादा % से वो अपने ग्राहकों को लोन देगा इस प्रकार जनता को मिलने वाला लोन महंगा हो जायेगा।
रेपो रेट से महंगाई कैसे नियंत्रित होती है/How Repo Rate Controls inflation
जब रेपो रेट में कमी की जाती है तो लोगो को मिलने वाला लोन सस्ता हो जाता है जिससे लोग और ज्यादा लोन लेते है ( कल्पना करो की बैंक आपको 2 % ब्याज पर लाओं दे तो क्या आप मना करोगे ) जिससे मार्किट में लोगो की पास पैसा आ जाता है लोगो की क्रय- शक्ति बढ़ जाती है जिससे वस्तुओ की मांग बढ़ जाती है और उनकी कीमत में बढ़ोतरी हो जाती है और ये स्थिति मार्किट में हर वस्तु के साथ होती है और महंगाई बढ़ जाती है। और इसके विपरीत जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है तो लोग लोन लेने में काम रूचि दिखाते है ( कल्पना करो की आपको कोई 18 % पर लाओं दे तो क्या आप उसे खरीदेंगे ) जिससे मार्किट में लोगो के पास काम पैसा आता है और उनकी क्रय शक्ति में बढ़ोतरी नहीं होती जिसके कारण वस्तुओ की मैग भी नई बढ़ती और न उनकी कीमत इस तरह RBI रेपो रेट से महंगाई को नियंत्रित करता है।
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